सागर: (धर्मेंद्र ठाकुर)
जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार के आरोपों की सूक्ष्मता से जांच की मांग
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) में कार्यपालन यंत्री के रूप में पदस्थ रहे हेमंत कश्यप को हाल ही में एक वीडियो वायरल होने के बाद निलंबित कर दिया गया था। वीडियो में कश्यप को जनप्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति अभद्र, अशोभनीय एवं अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते देखा गया। इसके बाद विभाग द्वारा तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित कर दिया गया, लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि उनके कार्यकाल में हुए करोड़ों रुपये के निर्माण कार्यों की जांच कब होगी?
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के तहत हेमंत कश्यप के कार्यकाल में बेहद घटिया और गुणवत्ताहीन कार्य कराए गए। इन कार्यों को लेकर पूर्व में भी कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाते रहे हैं, लेकिन इन पर कभी गंभीरता से जांच नहीं हुई। अब जबकि उन्हें निलंबित किया जा चुका है, आम जनता और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि यह जानना चाहते हैं कि आखिर उनके कार्यकाल की जांच कब शुरू होगी।
17 जून 2025 को एफएचटीसी (कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन) कार्यों की विभागीय समीक्षा में सामने आया कि 2742 एफएचटीसी कार्य लंबे समय से अधूरे पड़े हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद योजना के क्रियान्वयन में कोई संतोषजनक प्रगति नहीं हुई।
वहीं, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कश्यप को वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को गाली देते हुए सुना गया, जो शासकीय मर्यादा और अनुशासन के खिलाफ है। कश्यप अब इस वीडियो को फर्जी और एडिटेड बता रहे हैं, लेकिन इसकी सत्यता की निष्पक्ष जांच बेहद जरूरी है।
स्टोर, हैंडपंप और नलकूपों की भी हो जांच
जनता की मांग है कि जल जीवन मिशन के अलावा स्टोर में रखी सामग्री, हैंडपंप संधारण, और नलकूप उत्खनन जैसे कार्यों की भी जांच कराई जाए। सूत्रों के मुताबिक इन कार्यों में ठेकेदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है। यदि निष्पक्ष और गहन जांच की जाती है तो पूरे प्रकरण में बड़े भ्रष्टाचार की परतें खुल सकती हैं।
पर्दा डालने की कोशिश?
निलंबित अधिकारी हेमंत कश्यप अब पूरे मामले को झूठा बताकर खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वायरल वीडियो में जो भाषा और व्यवहार सामने आया है, वह किसी भी शासकीय अधिकारी के लिए निंदनीय और अस्वीकार्य है। सवाल यह भी है कि अगर समीक्षा बैठक में वरिष्ठ अधिकारी ने कार्य में लापरवाही पर डांट लगाई, तो क्या एक शासकीय अधिकारी को अपशब्द कहने का अधिकार मिल जाता है?
मांग तेज – हो विभागीय जांच समिति का गठन
इन सभी गंभीर आरोपों को लेकर आमजन, सामाजिक संगठन और कई जनप्रतिनिधि विभागीय जांच समिति के गठन की मांग कर रहे हैं ताकि हेमंत कश्यप के कार्यकाल में हुए सभी कार्यों की जांच हो सके और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित हो। सागर जिले में इस तरह की लापरवाह कार्यशैली अपनाने वाले अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग अब जोर पकड़ रही है।