आवारा कुत्तों से जंगल के राजा को खतरा, टाइगर रिजर्व में वैक्सीनेशन अभियान शुरू

सागर: मध्यप्रदेश, जिसे देशभर में टाइगर स्टेट के रूप में जाना जाता है, वहां अब बाघों पर एक नया खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा शिकारियों से नहीं, बल्कि आवारा कुत्तों से है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जंगल के इन आवारा कुत्तों से बाघों को कई घातक बीमारियां फैल सकती हैं, जो उनकी जान के लिए गंभीर खतरा बन रही हैं।

 

इस खतरे से बचाने के लिए मध्यप्रदेश वन विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। सभी टाइगर रिजर्व में कुत्तों और मवेशियों का रिंग वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है।

 

बाघों के लिए बड़ा खतरा: आवारा कुत्तों से फैलने वाली बीमारियां

 

विशेषज्ञों का कहना है कि टाइगर रिजर्व की सीमा से सटे गांवों में रहने वाले कुत्ते और मवेशी बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए संक्रमण का बड़ा स्रोत बन सकते हैं। इनसे बाघों में कैनाइन डिस्टेंपर, पार्वो वायरस, एडीनो वायरस और पैरा इंफ्लुएंजा जैसी बीमारियां फैल सकती हैं, जो उनके जीवन के लिए घातक साबित हो सकती हैं।

 

वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व में वैक्सीनेशन अभियान तेज

 

मध्यप्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व, जिसमें सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले आते हैं, वहां 24,000 से अधिक डोज का वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया है। यह सिर्फ कुत्तों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि टाइगर रिजर्व के शाकाहारी प्राणियों को भी सुरक्षा देने के लिए मवेशियों का भी टीकाकरण किया जा रहा है।

 

“बाघों को बचाने के लिए कुत्तों का टीकाकरण जरूरी” – डिप्टी डायरेक्टर

 

रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए. ए. अंसारी ने बताया,

 

“टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे गांवों में रहने वाले आवारा कुत्तों से बाघों को बड़ा खतरा है। इन कुत्तों के जरिए जंगल के शाकाहारी और मांसाहारी जीवों में घातक बीमारियां फैल सकती हैं। खासतौर पर कैनाइन डिस्टेंपर और पार्वो वायरस जैसी बीमारियां बाघों के लिए जानलेवा हो सकती हैं। इसलिए कुत्तों का वैक्सीनेशन अनिवार्य है।”

 

भेड़ियों को भी खतरा, कोर वैक्सीन का उपयोग

 

डॉ. अंसारी ने यह भी बताया कि वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व में भेड़ियों की भी बड़ी संख्या है। चूंकि भेड़िये और कुत्ते एक ही प्रजाति (Cаnis lupus) की उप-प्रजातियां हैं, इसलिए यह जरूरी है कि इन कुत्तों को वैक्सीनेशन दिया जाए।

 

इसके लिए कोर वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें रैबीज, कैनाइन डिस्टेंपर, पार्वो वायरस, एडीनो वायरस और पैरा इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।

 

वन विभाग की बड़ी पहल

 

मध्यप्रदेश वन विभाग का यह अभियान बाघों और अन्य वन्यजीवों को संक्रमण से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इस तरह का वैक्सीनेशन सही तरीके से चलता रहा, तो आने वाले समय में टाइगर रिजर्व के वन्यजीव स्वस्थ और सुरक्षित रहेंगे।

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