बेसहारा महिला की मासूम बच्ची का अवैध दत्तक ग्रहण, पहचान बदली

सागर। जिला अस्पताल में भर्ती एक बेसहारा महिला की तीन माह की बच्ची को भावनात्मक रूप से सहारा देकर अवैध रूप से अपनाने और उसकी पहचान बदलने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घटना के सामने आने के बाद बाल संरक्षण आयोग के सदस्य और हिंदू संगठनों के लोग जिला अस्पताल पहुंचे।

 

कैसे हुआ खुलासा

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिचरी क्षेत्र के एक परिवार ने अस्पताल में भर्ती गरीब महिला की मदद के नाम पर उसकी मासूम बच्ची को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद बच्ची को अस्पताल के ही एक अन्य विभाग में भर्ती कराकर उसका नाम और माता-पिता की पहचान बदल दी गई। जब बाल कल्याण समिति ने मामले की जांच की, तो इसमें विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजीपीयू) की गंभीर लापरवाही उजागर हुई। समिति के सदस्यों का कहना है कि एसजीपीयू की लापरवाही के कारण नवजात बालिका को अवैध रूप से एक परिवार के संरक्षण में दिया गया।

 

दस्तावेजों में बदला नाम और पहचान

 

बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने जब जिला अस्पताल में दस्तावेजों की जांच की, तो पाया कि बच्ची के माता-पिता का नाम बदलकर उसे भर्ती कराया गया था। जब समिति के सदस्यों ने मृतका के 5 साल के बेटे की काउंसलिंग की, तो उसने बताया कि उसकी एक छोटी बहन भी है, जिसे अस्पताल में एक महिला अपने साथ ले गई थी।

 

बच्ची को ले जाने वाली महिला का बयान

 

बच्ची को ले जाने वाली महिला का कहना है कि उसकी मां की हालत गंभीर थी और कोई भी बच्ची को उठाने को तैयार नहीं था। उसने यह भी बताया कि बच्ची की मां का नाम अस्पताल के दस्तावेजों में विमला की जगह फातिमा और बच्ची का नाम आसमा दर्ज कर दिया गया।

 

अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर सवाल

 

हिंदू सेवा समिति के अध्यक्ष उमेश सराफ ने इस पूरे मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही के कारण यह घटना हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि जिले के अस्पतालों में इस तरह का अवैध खेल लंबे समय से चल रहा है।

 

घटना का पूरा विवरण

 

गुना जिले की रहने वाली एक महिला की 17 फरवरी की रात बीएमसी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसके साथ उसका 5 साल का बेटा था, जिसे बाल आश्रम भेज दिया गया था। दो दिन बाद यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि मृतका की 2 माह की बेटी भी थी, लेकिन एसजीपीयू को इसकी कोई जानकारी नहीं थी।

 

बाल कल्याण समिति के निर्देश पर जब एसजीपीयू ने जिला अस्पताल में पड़ताल की, तो पता चला कि बच्ची को एक परिवार ने अवैध रूप से अपने संरक्षण में ले लिया है। अब इस पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है और संबंधित अधिकारियों पर लापरवाही के आरोप तय किए जा सकते हैं।

प्रशासन करेगा कड़ी कार्रवाई

बाल कल्याण समिति ने जिला अस्पताल प्रशासन और एसजीपीयू की लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दे दी है। अब इस पूरे मामले में कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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