महिला दिवस विषेश
सागर। “सपनों की कोई उम्र नहीं होती” – इस कहावत को सच कर दिखाया है रश्मि रावत ने। बचपन से ही किसी नेशनल गेम में खेलने का सपना देखने वाली रश्मि की राह में पढ़ाई, शादी और नौकरी जैसी जिम्मेदारियां आ गईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अब 40 साल की उम्र में उन्होंने स्टेट लेवल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपने सपने को साकार करने की ओर कदम बढ़ा दिया है।
पुलिस की नौकरी और परिवार की जिम्मेदारी के बीच पूरा किया सपना
रश्मि रावत वर्तमान में सूबेदार पद पर पदस्थ हैं और जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी में निज सहायक के रूप में कार्यरत हैं। आमतौर पर इस उम्र में महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि अपने सपनों को भुला देती हैं, लेकिन रश्मि ने अपनी कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर यह मुकाम हासिल किया।
अब नेशनल चैंपियनशिप में करेंगी प्रदर्शन
स्टेट चैंपियन बनने के बाद अब रश्मि रावत को नेशनल चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिलेगा। यह उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने अपने समय का बेहतरीन प्रबंधन करते हुए न सिर्फ अपने पारिवारिक दायित्वों को निभाया, बल्कि पुलिस की नौकरी के साथ-साथ अपने बचपन के सपने को भी साकार किया।
दूसरों के लिए बनीं प्रेरणा
रश्मि रावत की यह सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो उम्र या जिम्मेदारियों को अपने सपनों की राह में बाधा समझते हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।