मकरोनिया नगर पालिका परिषद ने प्रदेश में एक अनोखी मिसाल पेश की है, जहां ट्रैफिक व्यवस्था को पुलिस की बजाय प्राइवेट एजेंसी के कर्मचारियों के हवाले कर दिया गया है। इस व्यवस्था के तहत, करीब 300 प्राइवेट कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, जिनमें क्लर्क, ड्राइवर, सफाईकर्मी और सुरक्षा कर्मियों तक शामिल हैं।
*ट्रैफिक व्यवस्था की जिम्मेदारी*
– 12 से ज्यादा प्राइवेट कर्मचारियों को चौराहों पर तैनात किया गया है, जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं।
– ये कर्मचारी अलग-अलग शिफ्टों में ड्यूटी कर रहे हैं, जिनकी ड्यूटी सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे और फिर दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक लगाई जाती है।
*प्रशिक्षण का अभाव*
– मकरोनिया चौराहे पर तैनात इन प्राइवेट कर्मचारियों को वर्दी और लाठी तो दे दी गई है, लेकिन किसी भी प्रकार का ट्रैफिक कंट्रोल करने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।
– इनका काम सिर्फ इतना है कि वाहन चौराहे पर खड़े न हों।
*सवाल और आरोप*
– इस व्यवस्था को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।
– आरोप लग रहे हैं कि नगर पालिका परिषद ने अपने चहेते लोगों को एडजेस्ट करने के लिए यह ड्यूटी लगाई है।
– इनमें कई कर्मचारियों की शैक्षणिक योग्यता भी बहुत कम है।
*वेतन और मंजूरी*
– इन कर्मचारियों का वेतन नगर पालिका परिषद मकरोनिया के माध्यम से ही दिया जा रहा है।
– परिषद ने इस पूरी व्यवस्था को मंजूरी भी दे दी है।
*भविष्य की संभावनाएं*
– बिना प्रशिक्षण के ट्रैफिक व्यवस्था सौंपना भविष्य में किसी बड़ी समस्या को जन्म दे सकता है।