प्रयागराज: संगमनगरी प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन पूरे शबाब पर है। रोजाना लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। इसी क्रम में 29 जनवरी, बुधवार को महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा, जिसे मौनी अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इस विशेष दिन पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या 10 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
मौनी अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या को विशेष स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु इस पावन अवसर पर प्रयागराज की ओर रुख करते हैं।
क्यों होती है इस दिन सबसे अधिक भीड़?
धार्मिक मान्यता – ऐसा माना जाता है कि इस दिन सभी नदियों का जल अमृत तुल्य हो जाता है, और इसमें स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं।
पितरों की मुक्ति – इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
महत्वपूर्ण संयोग – शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, इसलिए यह कुंभ के प्रमुख स्नान पर्वों में शामिल है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने प्रयागराज में सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चाक-चौबंद कर दिया है। हजारों पुलिसकर्मी और सुरक्षाबल कुंभ क्षेत्र में तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
ट्रैफिक और परिवहन व्यवस्था
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रेलवे और बस सेवाओं में बढ़ोतरी की गई है। प्रयागराज के प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक प्लान लागू किया गया है ताकि किसी भी तरह की असुविधा न हो।
श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की अपील
प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे सुरक्षा नियमों का पालन करें, प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और महाकुंभ में अनुशासन बनाए रखें।
मौनी अमावस्या के इस पावन पर्व पर संगम में डुबकी लगाने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का ये महाकुंभ एक बार
फिर ऐतिहासिक होने जा रहा है।